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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 5


                                   मेरा बाप मेरा दुश्मन  ( भाग 5  )

                   आपने पिछले चार भागौ में पढ़ा कि किस तरह तान्या व विशाल ने भाग कर शादी करली थी। तान्या व विशाल एक तरफ तौखुश थे लेकिन तान्या अन्दर सै परेशान रहती थी। उसका दिल उसे धिक्कारता रहता था कि तान्या भागकर शादी करके तूने अच्छा नहीं किया है। इससे आगे की कहानी इस भाग में पढ़ि  ये:-   

    

                  तान्या व विशाल का समय आनन्दपूर्वक ब्यतीत होरहा था। जब घर की याद आती तब दौनौ ही परेशान होजाते थे।लगभग एक साल बाद तान्या ने अपनी सहेली को फौन किया ।

      उसकी सहेली उससे नाराज होकर बोली," तान्या तू तो बहुत वेदर्दी निकली तूने अपने मम्मी पापा की भी परवाह नहीं की।"

      "नहीं ऐसी वात नही है दीप्ती अचानक ही कुछ ऐसा होगया मै कुछ नहीं करसकी मेरे मम्मी पापा कैसे है ?" तान्या उसे समझाते हुए बोली।
    
        दीप्ती ने पूछा,"  क्या तुझे नहीं मालूम कि ?"

     बीच मे ही तान्या चिन्तित होकर पूछने लगी," क्या हुआ  ,? मेरे मम्मी पापा ठीक है?"
   
     " तेरे मम्मी पापा ने तेरे जाने के बाद घर से निकलना ही बन्द कर दिया था। और उन्हौने जहर खाकर आत्महत्या करली। उनकी डैडबाडी भी दो दिन बाद मोहल्ले बालौ ने पूलिस बुलाकर निकलवाई थी।" दीप्ती ने रोते हुए दुःखद समाचार उसको बताया।

    यह समाचार सुनकर तान्या बुरी तरह रोने लगी। उसे अपने किये हुए पर बहुत क्रोध आरहा था।परन्तु वह वेबस थी वह कुछ कर नहीं सकती थी।

     उसको रोता हुआ सुनकर दीप्ती बोली " तान्या तूने भागकर अच्छा नहीं किया । तू उनकी अकेली सन्तान थी। तेरे अलावा उनका यहाँ कौन था जिसके लिए वह जिन्दा रहते। उन दौनौ ने अच्छा किया कि अपनी जीवनलीला ही समाप्त करली।वह जिन्दा भी किसके लिए रहते ?"

      तान्या रोते हुए बोली," दीप्ती मै मानती हूँ कि मुझसे बहुत बडी़ भूल हुई है मुझे अपने मम्मी पापा को एक अवसर देना चाहिए। मैने मम्मी को अपनी लव स्टोरी के बिषय में समझाया था परन्तु उन्हौने कोई ध्यान नहीं दिया था।  अब जो होना था वह होगया। यह सब मेरे कारण ही हुआ  है मुझे ईश्वर इसकी सजा अवश्य देगा।"

       दीप्ती ने तान्या को बताया," तान्या मैने तेरा नम्बर बहुत बार ट्राई किया था परन्तु वह हर बार स्विच आँफ ही आता था।मै चाहती थी कि तू ही उनका अकेली वारिस है अतः तू समय पर आजाय परन्तु यह सम्भव नहीं हो सका।"
            तान्या ने दीप्ती से आगे कहा,"  देख दीप्ती ईश्वर की इच्छा से  ही सब कुछ सम्भव होता है शायद यहीं होना था।अब उस पर अफसोस करने से कोई लाभ नहीं होगा। अतः यह सब भूलने में ही भलाई है।"

       दीप्ती नै उत्तर देते हुए कहा," तेरे पापा की जो भी सम्पत्ति थी वह  एक अनाथालय को दान करदी गयी क्यौकि तेरे पापा ने आत्महत्या करने से पूर्व एक खत लिखकर  छोडा़ था। उसमें उन्हौने साफ शब्दौ में लिखा था  कि मेरे मरने के बाद मेरी सब चल अचल सम्पत्ति अनाथालय को देदी जाय। इसीलिए सभीने सब कुछ अनाथालय को सौप दिया था। यहाँ तक घर भी बेचकर रकम अनाथालय को देदी थी।"

          आज तान्या बहुत दुःखी थी अब उसका सब कुछ वास्तव में छिन गया था।अब वह वहाँ किसके पास जायेगी घर भी बिक चुका था।अब उसकी यादें भी शेष नहीं रही थी जिसके लिए वह जाने की कोशिश करती।

          जब यह समाचार विशाल ने सुना तो वह बहुत परेशान हुआ था उसने तान्या को बहुत समझाने की कोशिश की थी परन्तु तान्या के दिल पर दीप्ती की बातो को बहुत प्रभाव पडा़।

       उसके कानौ में दीप्ती की यही शब्द बारम्बार गूँज रहे थे कि  " तान्या तूने भागकर अच्छा नहीं किया। तू उनकी अकेली सन्तान थी। तेरे अलावा उनका यहाँ और कौन था जिसके लिए वह जिन्दा रहते।उन दौनौ ने अच्छा ही किया कि अपनी जीवन लीला ही समाप्त करली।"

     तान्या स्वयं को माँफ नहीं कर पारही थी वह  स्वयं को उनका  सबसे बडा़ अपराधी मान रही थी क्यौकि यह सब उसके कारण ही हुआ था। आज वह सोच रही थी कि उसने विशाल के कहने पर भागने का प्रोग्राम  इतनी आसानी से कैसे बना लिया

         तान्या बहुत दुःखी रहने लगी थी इसी बीच वह माँ बनने वाली होगयी। तान्या ने विशाल को समझाया कि इस समय उसका दिमाग ठीक नहीं रहता है इसलिए मैं माँ बनने लायक नही हूँ ।  इस समय मेरा एवार्शन करवा दो।

       लेकिन विशाल ने उसको समझाकर एवार्शन नही करवाया। और उनके एक बेटी आगयी। बेटी जन्म के समय पर ही बहुत कमजोर थी क्यौकि तान्या हमेशा अपने को  अपने मम्मी पापा की मौत का जिम्मेदार समझती  रही थी और बास्तव में इसकी जिम्मेदार भी वही थी।

         विशाल ही अपनी बेटी का अधिक ध्यान रखता था।  उन दौनौ ने अपनी का नाम रमला  रखा ।तान्या तो रमला के जन्म के बाद से ही बीमार रहने लगी थी।

        विशाल तान्या को बहुत समझाने की कोशिश करता था परन्तु उसके दिमाग से दीप्ती द्वारा की गयी बात निकलती ही नहीं थी। वह हमेशा यही सोचती रहती थी कि शायद ईश्वर मुझे मरने के बाद भी माँफ नहीं करेगा।

     रमला जैसे जैसे बडी़ होरही थी तान्या के द्वारा उसकी देखभाल न करने के कारण वह जिद्दी होती जारही थी।

   विशाल ने तान्या को समझाते हुए कहा," देखो तान्या तुम इस तरह चिन्ता करके अपना स्वास्थ्य खराब कर रही हो एवं अपनी बेटी का भविष्य भी खराब कर रही हो यह बडी़ होकर हम दौनौ को ही दोषी ठहरायेगी।"

     उसकी बात सुनकर तान्या बोली," मैं क्या करू मै अपने मन को बहुत समझानै की कोशिश करती हूँ परन्तु यह लौट कर वही सोचने लगता है । अब यह सब मेरे बस में नहीं रहा है। "

    विशाल उसे बहुत समझाने की कोशिश करता परन्तु तान्या के ऊपर उसकी बातौ का कोई असर नही पड़ता था।

      इसी तरह समय ब्यतीत होता जारहा था।

नोट:- कृपया आगे कहानी भाग 6 में पढ़ने का कष्ट करै।
    धन्यवादजी


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1 Comments

romantic queen 👑

05-Jul-2023 09:14 PM

Nice

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